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गुरु पूर्णिमा के दिन जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान करें : महंत रोहित शास्त्री।

गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई बुधवार को।

जम्मू कश्मीर : गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ी एवं गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। जीवन में गुरु और शिक्षक के महत्व को आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व आदर्श है। गुरु पूर्णिमा के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई बुधवार सन् 2022 ई. को सुबह 04 बजे प्रारंभ होगी और और इसका समापन उसी दिन देर रात 12:06 बजे हो रहा है। सूर्योदय व्यापिनी तिथि के आधार पर गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई बुधवार को मनाई जाएगी। दिवा और रात्रि पूर्णिमा व्रत 13 जुलाई बुधवार को ही होगा।

गुरु पूर्णिमा,गुरु-व्यास पूजा का शुभ मुहूर्त 13 जुलाई दोपहर 02 बजकर 05 मिनट के बाद पूरा दिन शुभ है। क्योंकि दोपहर 02 बजकर 04 मिनट तक भद्रा काल रहेगा।

इस दिन गुरु वेदव्यास का जन्मोत्सव देशभर में मनाया जाता है इसलिए आषाढ़ पूर्णिमा को व्यासपूर्णिमा भी कहा जाता है,इस दिन लोग अपने-अपने गुरु जी का पूजन करते हैं। श्रीगणेश,भगवान शिव,माता पार्वती,विद्या की देवी मां शारदे,भगवान विष्णु के स्वरूप श्रीसत्यनारायण जी,चंद्रमा,माता पिता की पूजा जरूर करनी चाहिए और भगवान श्रीसत्यनारायण जी की कथा पढ़ना अथवा सुनना या पूजा करवाना बेहद शुभ होता है।

कोरोना महामारी के चलते अपने घर में रहकर ही अपने गुरु जी की पूजा,अर्चना ध्यान एवं सुमिरन करें, ब्रह्मलीन हो चुके सद्गुरुओं की प्रतिमा या चित्र का पूजन करके और जीवित गुरुओं को सोशल मीडिया की की मदद से लाइव दर्शन करके या फिर उनके चित्र का पूजन करें।

पूर्णिमा पर पवित्र नदियों, सरोवरों में स्नान करने का विशेष महत्व है कोरोना महामारी के चलते घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें और घर के आस पास जरूरतमंद लोगों को यथाशक्ति दान अवश्य करें ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

खनित्वा हि खनित्रेण भूतले वारि विन्दति ।
तथा गुरुगतां विद्यां शुश्रूषुरधिगच्छति ॥

जिस प्रकार कुदाल से खोदकर ही धरती से जल प्राप्त होता है, उसी प्रकार गुरु के हृदय में स्थित विद्या को सेवा से अर्थात् अनुशासन से प्राप्त किया जा सकता है।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए,इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं,इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।

महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195,ईमेल आईडी rohitshastri.shastri1@gmail.com

Editor JK News Updates

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