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जम्मू कश्मीर में नागपंचमी का पर्व 01 सितंबर गुरुवार को मनाया जाएगा : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।

पंचमी के दिन भूमि को नहीं खोदना चाहिए।

जम्मू कश्मीर : हमारे शास्त्रों में तिथि को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिस तिथि के जो देवता बताये गये हैं उन देवताओं की पूजा उसी तिथि में करने से सभी देवता उपासक से प्रसन्न हो उसकी अभिलाषा को पूर्ण करते हैं,पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भय तथा कालसर्प योग शमन होता है,नागपंचमी पर्व के विषय में श्रीकैलख वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया जम्मू (डुग्गर प्रदेश) में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की ऋषि पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है।भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष तिथि 31 अगस्त बुधवार दोपहर 03 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी ओर 01 सितम्बर गुरुवार 02 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापिनी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 01 सितंबर गुरुवार होने के कारण इस वर्ष जम्मू कश्मीर में नाग पंचमी का पर्व 01 सितंबर गुरुवार को मनाया जाएगा। नागपंचमी पर्व को लेकर मतभेद है, जैसे राजस्थान एवं बंगाल में श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी को यह पर्व मनाते हैं और उत्तर भारत में श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व मनाते है। पंचमी तिथि के स्वामी नाग होने के कारण आप पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा अर्चना व्रत कर सकते हैं। अथवा प्रतिदिन भी कर सकते हैं।

नागपंचमी का त्यौहार हमें यह बताता हैं कि हमारे देश में सभी जीव जंतु को सम्मान दिया जाता हैं क्यूंकि प्रकृति के संतुलन के लिए सभी उत्तरदायी हैं,किसी एक की भी कमी से यह संतुलन बिगड़ जाता हैं। हिन्दू धर्म में नागों को प्राचीन काल से पूजनीय माना गया है। सभी सांप भी हमारे समाज का अभिन्न अंग है। इसीलिए इंसानों को नागों की रक्षा करनी चाहिए और इन्हें अकारण सताना नहीं चाहिए।

कोरोना महामारी के चलते घर में नाग देवता की पूजा अर्चना करें, अगर घर में नाग देवता की प्रतिमा है तो ठीक है नहीं तो शुद्ध मिट्टी के नाग बनाकर पूजन करें अथवा इस दिन नाग देवता की बाम्बी (वर्मी) में श्री फल ,दूध, दक्षणिया,मीठा रोट, फूल, फूल माला चढ़ाई जाती हैं.‘ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ श्लोक का उच्चारण कर सर्प का जहर उतारा जाता हैं,और सर्प के प्रकोप से बचने के लिए नाग पंचमी की पूजा की जाती हैं,नाग पंचमी का त्यौहार नागों का त्यौहार होता है,इस दिन पारंपरिक रूप से नाग देवता की पूजा करते है, और परिवार के कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद की मांग की जाती है,इस दिन नाग देवता के दर्शन किये जाते हैं ,इसके बाद पूजा के लिए घर की एक दीवार पर गेरू, जोकि एक विशेष पत्थर है से लेप कर यह हिस्सा शुद्ध किया जाता हैं,यह दीवार कई लोगों के घर की प्रवेश द्वार होती हैं तो कई के रसोई घर की दीवार,इस छोटे से भाग पर कोयले एवं घी से बने काजल की तरह के लेप से एक चौकोर डिब्बा बनाया जाता हैं,इस डिब्बे के अन्दर छोटे छोटे सर्प बनाये जाते हैं, इस तरह की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती हैं,कई परिवारों में यह सर्प की आकृति कागज पर बनाई जाती हैं कई परिवार घर के द्वार पर चन्दन से सर्प की आकृति बनाते हैं, एवं पूजा करते हैं,फिर ब्राम्हणो को भोजन करवाते हैं एवं जरूरतमंद लोगो को दान करते है।

पंचमी के दिन भूमि को नहीं खोदना चाहिए,अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन नागदेवता की विशेष पूजा कर लाभ पाया जा सकता है।अगर आपको सर्प से डर लगता है,संतान प्राप्ति के लिए,व्यक्ति से सर्प की हत्या हो गई हो या सांप सपने में दिखाई देते हो तो हैं तो इस दिन नाग देवता की पूजा अर्चना करें,इस दिन नाग नागिन के जोड़े को जंगल मे सपेरों से मुक्त कराने एवं गायों को चारा डाले एवं व्रत रखे ‘ऊं नागेंद्रहाराय नम:’ का जाप करें।

नागपंचमी पर नाग पूजन मंत्र :-

मंत्र ॐ भुजंगेशाय विद्महे,सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।

नाग-पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कालिय-मर्दन लीला हुई थी और ब्रह्माजी द्वारा पंचमी के दिन वरदान दिए जाने व पंचमी के दिन ही आस्तीक मुनि द्वारा नागों की रक्षा किए जाने के कारण पंचमी-तिथि नागों को समर्पित है।

महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195

Editor JK News Updates

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