Warning: sprintf(): Too few arguments in /home/kuldevscc/public_html/jknewsupdates.com/wp-content/themes/default-mag/assets/libraries/breadcrumb-trail/inc/breadcrumbs.php on line 254

पितृपक्ष श्राद्ध 10 सितंबर सन्‌ 2022 ई. शनिवार से शुरू होंगे, जानें श्राद्ध की तिथियां :- महंत रोहित शास्त्री।

जम्मू कश्मीर : इस वर्ष पितृपक्ष श्राद्ध 10 सितंबर, शनिवार से शुरू हो रहे हैं और 25 सितंबर रविवार को समाप्त होंगे। पितरों के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है। पितृपक्ष के दिनों में अपनी शक्ति व सामर्थ्य के अनुसार पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण, दान पुण्य अवश्य करना चाहिए।

पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। श्राद्धों में अपने पितरों मृत्यु तिथि के दिन पिण्डदान, तर्पण, ब्राह्मणों को भोजनएन, कपड़े, फल, मिठाई सहित दक्षिणा ब्राह्मणों को दान देने के बाद गरीबों को खाना खिलाना भी जरूरी है। जितना दान दोगे, वह उतना आपके पूर्वजों तक पहुंचता है। श्राद्ध करने से व्यक्ति पितृऋण से मुक्त होता है और पितरों को संतुष्ट करके स्वयं की मुक्ति के मार्ग पर बढ़ता है और पितर भी प्रसन्न होकर व्यक्ति को आरोग्य, धन, संपदा, मोक्ष आदि सुख प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।

पितृपक्ष श्राद्ध के विषय मे श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते लोग एक दूसरे के घर जाने में परहेज कर रहे हैं। अगर पुरोहित जी का घर आने से परहेज हो तो आप श्राद्ध के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण एवं पूजन कर, पात्र में सबसे पहले देवता, पितरों, गाय माता, कौवे, कुत्ते, चींटी का भोजन का थोड़ा सा भाग निकालें। फिर यथा शक्ति सुखा राशन एवं दक्षिणा ब्राह्मणों एवं ज़रूरतमंद लोगो को दें।
किसी परिजन की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो तो उनका श्राद्ध प्रतिपदा के दिन ही किया जाता है। इसी प्रकार अन्य दिनों में भी ऐसा ही किया जाता है। जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई हो यानि किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है। साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन किया जाता है।जिनको पितरों के देहांत की तिथि याद नहीं हो तो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है। इस दिन को सर्वपितृ श्राद्ध कहा जाता है।

जानें श्राद्ध की तिथियां

पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध 10 सितंबर शनिवार, दोपहर 03 बजकर 29 मिनट के पहले।

प्रतिपदा, पहला, श्राद्ध 10 सितंबर शनिवार दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से लेकर इसी दिन शाम 04 बजकर 16 मिनट के मध्य काल में कर सकते हैं।

प्रतिपदा, पहला, श्राद्ध 11 सितंबर रविवार दोपहर 01बजकर 15 मिनट के पहले कर सकते हैं।

द्वितीया, दूसरा श्राद्ध 11 सितंबर रविवार दोपहर 01 बजकर 15 मिनट के बाद।

तृतीया, तीसरा, श्राद्ध 12 सितंबर सोमवार सुबह 11 बजकर 36 मिनट के बाद।

चतुर्थी, चौथा, श्राद्ध 13 सितंबर मंगलवार सुबह 10 बजकर 38 मिनट के बाद।

पंचमी, पांचवा, श्राद्ध 14 सितंबर बुधवार सुबह 10 बजकर 26 मिनट के बाद।

षष्ठी, छठा, श्राद्ध 15 सितंबर गुरुवार
सुबह 11 बजकर 01 मिनट के बाद।

सप्तमी, सांतवा, श्राद्ध 16 सितंबर शुक्रवार दोपहर 12 बजकर 20 मिनट के बाद।

सप्तमी, सांतवा, श्राद्ध 17 सितंबर शनिवार दोपहर 01बजकर 36 मिनट से लेकर इसी दिन दोपहर 02 बजकर 15 मिनट के पहले।

अष्टमी, आंठवा, श्राद्ध 18 सितंबर रविवार रविवार।

नवमी, नवां, श्राद्ध 19 सितंबर सोमवार।

दशमी, दसवां, श्राद्ध 20 सितंबर मंगलवार।

एकादशी, ग्यारहवां, श्राद्ध 21 सितंबर बुधवार।

द्वादशी, बारहवां, श्राद्ध 22 सितंबर गुरुवार।

त्रयोदशी, तेरहवां, श्राद्ध 23 सितंबर शुक्रवार।

चतुर्दशी, चौदहवां, श्राद्ध 24 अक्टूबर शनिवार।

अमावस्या तिथि का श्राद्ध 25 सितंबर रविवार, सर्वपितृश्राद्ध एवं पितृ विसर्जन एवं श्राद्ध समाप्त।

नोट :- अश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा 11 सितंबर अपराह्न शुरू होने से पहले ही समाप्त हो रही है। रविवार 11 सितंबर को अपराह्न व्यापिनी प्रतिपदा तिथि नहीं है इसलिए प्रतिपदा का श्राद्ध 10 सितंबर शनिवार दोपहर 03 बजकर 38 मिनट से लेकर इसी दिन शाम 04 बजकर 16 मिनट के मध्य काल में प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध करना शास्त्र अनुसार उत्तम होगा। किसी कारणवश 10 सितंबर को प्रतिपदा तिथि श्राद्ध नहीं कर सके तो प्रतिपदा, पहला, श्राद्ध 11 सितंबर रविवार दोपहर 01बजकर 15 मिनट के पहले कर सकते हैं।

जो लोग किसी भी कारणवश 16 सितंबर को सप्तमी तिथि का श्राद्ध नहीं कर सकें तो वह 17 सितंबर दोपहर 01 बजकर 36 मिनट से लेकर इसी दिन दोपहर 02 बजकर 15 मिनट के मध्य काल में सप्तमी तिथि का श्राद्ध कर सकते है। लेकिन सप्तमी तिथि का श्राद्ध 16 सितंबर दोपहर 12 बजकर 20 मिनट के बाद करना शास्त्र अनुसार उत्तम होगा।

श्राद्ध पूजा की सामग्री:

पलाश के पत्ते,कुशा,रोली, सिंदूर, फल, मिठाई, लौंग इलायची, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया ,रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, दक्षिणा, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, खीर, शहद, शक्कर, वस्त्र, स्वांक के चावल, मूंग, पुष्प, गन्ना।

महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट(पंजीकृत)
संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195 ,ईमेल.rohitshastri.shastri1@gmail.com.

Editor JK News Updates

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

इन्दिरा एकादशी व्रत 21 सितंबर बुधवार को : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।

Tue Sep 20 , 2022
पितरों को मोक्ष दिलाती है इंदिरा एकादशी। जम्मू कश्मीर : आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 20 सितंबर मंगलवार रात्रि 09 बजकर 27 मिनट पर प्रारंभ होगी और 21 सितंबर बुधवार रात्रि 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी । सूर्योदय व्यापिनी आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 सितंबर […]

Breaking News

About Us

Logo
We love WordPress and we are here to provide you with professional looking WordPress themes so that you can take your website one step ahead. We focus on simplicity, elegant design and clean code.
%d bloggers like this: