
जम्मू कश्मीर : पितृ पक्ष में पितृ धरती पर परिजनों से मिलने आते हैं। आश्विन माह की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से जाना जाता है। पितृ विसर्जन अमावस्या के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस वर्ष पितृ विसर्जन,अमावस्या तिथि का श्राद्ध,अज्ञात मृत्यु तिथि वालों का श्राद्ध,सर्वपितृ श्राद्ध एवं श्राद्ध पक्ष 25 सितंबर रविवार को समाप्त होगा।
किसी परिजन की मृत्यु जिस तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध उस तिथि के दिन ही किया जाता है,अगर जिनको पितरों के देहांत की तिथि याद नहीं हो तो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है इस दिन को सर्वपितृ श्राद्ध कहा जाता है।
पितृ विसर्जन विधि : सर्वपितृ अमावस्या के दिन शाम दो-दो पूड़ियों पर भोजन,चावल,फल, मिठाई, पुष्प,दक्षिणा आदि घर की मुख्य द्वार (चौखट) पर दोनों तरफ रख दें उनके ऊपर सरसों के तेल का एक-एक दीपक जलाएं,जिसका अर्थ है कि पितृ जाते समय भूखे न जायें। इसी तरह दीपक जलाने का आशय उनके मार्ग को अलोकित करना है।अंत में पितरों से यह प्रार्थना करें कि पितृपक्ष समाप्त हो गया है इसलिए वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में जाएं।
कोरोना महामारी के चलते लोग एक दूसरे के घर जाने में परहेज कर रहे हैं। अगर पुरोहित जी का घर आने से परहेज हो तो आप श्राद्ध के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण एवं पूजन कर,पात्र में सबसे पहले देवता,पितरों,गाय माता ,कौवे,कुत्ते,चींटी का भोजन का थोड़ा सा भाग निकालें,फिर यथा शक्ति सुखा राशन एवं दक्षिणा ब्राह्मणों एवं ज़रूरतमंद लोगो को दे।
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) प्रधान श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट(पंजीकृत) रायपुर ठठर जम्मू कश्मीर। संपर्कसूत्र:9858293195,7006711011,9796293195.ईमेल : rohitshastri.shastri1@gmail.