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रमा एकादशी व्रत 21 अक्टूबर शुक्रवार को : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।

जम्मू कश्मीर : कार्तिक कृष्ण पक्ष रमा एकादशी का व्रत इस वर्ष सन् 2022 ई. 21 अक्टूबर शुक्रवार को है। एकादशी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं,लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।

कार्तिक कृष्ण पक्ष रमा एकादशी तिथि 20 अक्टूबर गुरूवार शाम 04 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी और 21 अक्टूबर शुक्रवार शाम 05 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापिनी कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि 21 अक्टूबर शुक्रवार को होगी इसलिए कार्तिक कृष्ण पक्ष रमा एकादशी का व्रत 21 अक्टूबर शुक्रवार को ही होगा। रमा एकादशी व्रत का पारण 22 अक्टूबर शनिवार सुबह 06 बजकर 28 मिनट से लेकर इसी दिन सुबह 08 बजकर 45 मिनट तक किया जाएगा।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रमा एकादशी के दिन प्रात: काल से ही शुक्ल योग है, जो शाम 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा। इन योगों में किया गया कोई भी शुभ कार्य सफल होता है। साफ शब्दों में कहें तो इस योग में किया गया पूजन कार्य का शुभ फल आने वाले समय में निश्चित ही मिलता है।

रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ धन, ऐश्वर्य और वैभव की देवी माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है। माता लक्ष्मी जी को रमा भी कहते हैं, कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी पर भगवान विष्णु संग रमा की भी पूजा होती है, इसलिए इसे रमा एकादशी कहते हैं ।जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु जी के साथ मात लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उनके घर से दुख, दरिद्रता एवं नकारात्मकता दूर हो जाती है। घर के सुख, समृद्धि, संपत्ति में वृद्धि होती है। धर्मग्रंथों के अनुसार एकादशी के व्रत को करने से व्रती को अश्वमेघ यज्ञ,जप,तप,तीर्थों में स्नान-दान से भी कई गुना शुभफल मिलता है। एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को अपने चित, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है। एकादशी व्रत जीवन में संतुलनता को कैसे बनाए रखना है सीखाता है । इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है।

इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है। इस दिन ब्राह्माणों एवं जरूरतमंद लोगों को स्वर्ण,भूमि,फल,वस्त्र ,मिष्ठानादि,अन्न दान,विद्या दान दक्षिणा एवं गौदान आदि यथाशक्ति दान करें।

एकादशी व्रत पूजन विधि :-

शारीरिक शुद्धता के साथ ही मन की पवित्रता का भी ध्यान रखना चाहिए।एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही शुरु हो जाता है। दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण कर अगले दिन एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और शुद्ध जल से स्नान के बाद सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें पति पत्नी संयुक्त रूप से लक्ष्मीनारायण जी की उपासना करें, पूजा के कमरे या घर में किसी शुद्ध स्थान पर एक साफ चौकी पर श्रीगणेश, भगवान लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद पूरे कमरे में एवं चौकी पर गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश (घड़े )में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें, उसमें उपस्थित देवी-देवता, नवग्रहों,तीर्थों, योगिनियों और नगर देवता की पूजा आराधना करनी चाहिए,इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक मंत्रो एवं विष्णुसहस्रनाम के मंत्रों द्वारा भगवान लक्ष्मीनारायण सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाह्न, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान,तिल,दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। व्रत की कथा करें अथवा सुने तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

एकादशी के दिन “ॐ नमो वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए,हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है, इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है।

एकादशी के दिनों में किन बातों का खास ख्याल रखें

एकादशी के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रहम्चार्य का पालन करना चाहिए,इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए, व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए, व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए,काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए,किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।

महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) अध्यक्ष, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत)रायपुर,ठठर बनतलाब जम्मू, पिन कोड 181123.
संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195 Email : rohitshastri.shastri1@gmail.com

Editor JK News Updates

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