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पापमोचनी एकादशी व्रत 18 मार्च शनिवार को : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।

पापमोचनी एकादशी के व्रत को रखने से मन के सभी बुरे विचार नष्ट हो जाते हैं।

जम्मू कश्मीर : चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पापमोचनी एकादशी का व्रत सन् 2023 ई. 18 मार्च शनिवार को है। एकादशी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं,लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पापमोचनी एकादशी तिथि 17 मार्च शुक्रवार दोपहर शाम 02 बजकर 07 मिनट पर शरू होगी और अगले दिन यानी 18 मार्च शनिवार सुबह 11 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि 18 मार्च शनिवार को होगी इस लिए पापमोचनी एकादशी व्रत 18 मार्च शनिवार को होगा।

पापमोचनी एकादशी के इस व्रत को रखने से मन के सभी बुरे विचार नष्ट हो जाते हैं,धर्मग्रंथों के अनुसार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी सभी पापों को दूर करने वाली होती है,इसलिए इस एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा गया है,पापमोचनी एकादशी पर विधि पूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से व्रती को अश्वमेघ यज्ञ,जप,तप,तीर्थों में स्नान-दान से भी कई गुना शुभफल मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण जी ने स्वयं अर्जुन को पापमोचनी एकादशी का महत्व बताते हुए कहा था कि जो भी व्यक्ति ये व्रत रखता है उसके सारे पाप नष्ट का हो जाते है और अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने और कथा का श्रवण करने से 1000 गौदान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।

एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को अपने चित, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है। एकादशी व्रत जीवन में संतुलनता को कैसे बनाए रखना है सीखाता है । इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है।

इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है। इस दिन ब्राह्माणों एवं जरूरतमंद लोगों को स्वर्ण,भूमि,फल,वस्त्र ,मिष्ठानादि,अन्न दान,विद्या, दान दक्षिणा एवं गौदान आदि यथाशक्ति दान करें।

इस दिन श्रीगणेश जी,श्रीलक्ष्मीनारायण,भगवान श्रीराम,भगवान श्रीकृष्ण जी तथा देवों के देव महादेव की भी पूजा की जाती है,श्री लक्ष्मीनारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें अथवा कथा पक्का सुने,एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है,इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की अराधना को समर्पित होता है। व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। जो मनुष्य इस दिन भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण जी की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए ,इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं,इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।

महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195,ईमेल आईडी rohitshastri.shastri1@gmail.com

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