Warning: sprintf(): Too few arguments in /home/kuldevscc/public_html/jknewsupdates.com/wp-content/themes/default-mag/assets/libraries/breadcrumb-trail/inc/breadcrumbs.php on line 254

स्कंदमाता की उपासना से मंदबुद्धि व्यक्ति को बुद्धि व चेतना प्राप्त होती है :- महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

जम्मू कश्मीर :- देवी दुर्गा का पंचम रूप स्कंदमाता का हैं,श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण नवरात्रि के पंचम दिन स्कंदमाता की पूजा और आराधना की जाती है,भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे, भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।

स्कंदमाता की पूजन विधि इस प्रकार है
:-
नवरात्र के पांचवें दिन शुद्ध जल से स्नान कर माँ की पूजा के लिए कुश के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए,देवी स्कंदमाता की दिशा उत्तर है,निवास में वो स्थान जहां पर उपवन या हरियाली हो,स्कंदमाता की पूजा का श्रेष्ठ समय है दिन का दूसरा पहर। जिस तरह से अपने चारों दिन माँ की पूजा की ठीक वैसे ही पांचवें दिन भी करें अर्थात आत्म पूजा,कलश स्थापना,श्री नवग्रह, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका पूजन करें,स्कंदमाता का षोडशोपचार विधि से पूजन करें इसमें आवाह्न, आसन, पाद्य, अ‌र्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें,उसके बाद फिर शिव शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करें,स्कंदमाता की पूजा चंपा के फूलों से करनी चाहिए। इन्हें मूंग से बने मिष्ठान का भोग लगाएं, मां को केले का भोग अति प्रिय है। इन्हें केसर डालकर खीर का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए,श्रृंगार में इन्हें हरे रंग की चूडियां चढ़ानी चाहिए।

स्कंदमाता का ध्यान मंत्र –

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कंद माता यशस्विनी॥

माता का स्वरूप इस प्रकार है,स्कंदमाता शेर पर सवार रहती हैं। उनकी चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है।

स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त मनोकामनाए पूर्ण होती है , इस मृत्युलोक मे ही उसे परम शांति ओर सुख का अनुभव होने लगता है, मोक्ष मिलता है ,सूर्य मंडल की देवी होने के कारण इनका उपासक आलोकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है साधक को अभिस्ट वस्तु की प्राप्ति होती है ओर उसे पुलना रहित महान ऐश्वर्य मिलता है, इनकी उपासना से मंदबुद्धि व्यक्ति को बुद्धि व चेतना प्राप्त होती है, पारिवारिक शांति मिलती है, स्कंदमाता की कृपा से संतान के इच्छुक दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त हो सकता है,इनकी कृपा से ही रोगियों को रोगों से मुक्ति मिलती है तथा समस्त व्याधियों का अंत होता है। देवी स्कंदमाता की साधना उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है जिनकी आजीविका का संबंध मैनेजमेंट, वाणिज्य, बैंकिंग अथवा व्यापार से है,वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और माता को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहण करना चाहिए ।

Editor JK News Updates

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

नवरात्रों के छठे दिन भगवती दुर्गा के छठे रूप माँ कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है :- ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री।

Mon Mar 27 , 2023
जिन कन्याओ के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हे इस दिन माँ कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हे मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है। ध्यान मंत्र-चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन ।कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ।। माँ दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा’ […]

Breaking News

About Us

Logo
We love WordPress and we are here to provide you with professional looking WordPress themes so that you can take your website one step ahead. We focus on simplicity, elegant design and clean code.
%d bloggers like this: