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मां बगलामुखी जयंती (अर्द्घरात्रि व्यापिनी) 28 अप्रैल शुक्रवार को :- महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।

जम्मू कश्मीर : धर्मग्रंथों के अनुसार वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है इस वर्ष सन् 2023 ई. 28 अप्रैल शुक्रवार को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाएगी,इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया माता बगलामुखी को पीताम्बरा,बगला, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है। जिसके पूजन करने से शत्रु आपके प्रति षड्यंत्र नहीं कर पाते हैं।

श्रीबगलामुखी देवी की साधना-आराधना से मनुष्य जीवन की सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं को समाप्त कर आनन्द एवं प्रसन्नतापूर्वक जीवन यापन करने लगता है। माता बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं,संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है।

मां बगलामुखी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है, इसीलिए इन्हें पीताम्बरा भी कहा जाता है। मां की पूजा में पीले रंग की सामग्री होने से पूजा का शुभ लाभ मिलता है।

मन्त्र साधना का समय :-

माँ बगलामुखी की साधना रात्रि में की जानी चाहिए। रात्रि 10 बजे के बाद कोई भी समय निश्चित कर प्रतिदिन उसी समय पर साधना करना चाहिए।

इस विधि से करें मां बगलामुखी का पूजन :-

शारीरिक शुद्धता के साथ ही मन की पवित्रता का भी ध्यान रखना चाहिए,इस दिन सुबह स्नान कर पूजा के कमरे या घर में किसी शुद्ध स्थान उत्तर दिशा में एक साफ चौकी पर पीला रंग का वस्त्र डाल कर श्रीगणेश एवं माता बगलामुखी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद पूरे कमरे में एवं चौकी पर गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश (घड़े )में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें, उसमें उपस्तिथ देवी-देवता, नवग्रहों,तीर्थों, योगिनियों और नगर देवता की पूजा आराधना करनी चाहिए,इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक मंत्रों द्वारा चौकी पर स्थापित समस्त देवी देवताओं की षोडशोपचार से पूजा करें। इसमें आवाह्न, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

मंत्र :-

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है,यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं, मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए,देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है।

दरिद्रता नाश के लिए मंत्र :-

हल्दी की माला से दरिद्रता नाश के मन्त्र का जाप करें :-

“श्रीं ह्रीं ऐं भगवती बगले मे श्रियं देहि देहि स्वाहा”

माँ बगलामुखी की सदैव कृपा पाने के लिए क्या करें ?

माता बगलामुखी जयंती के दिन माँ बगलामुखी को दो गाँठ हल्दी की अर्पित करें,माँ से शत्रु और विरोधियों के शांत हो जाने की प्रार्थना करें फिर एक हल्दी की गाँठ अपने पास रख लें और दूसरी गाँठ को जल प्रवाहित कर दें ऐसा करने से आप हर तरह की शत्रु बाधा से सुरक्षित रहेंगे।

Editor JK News Updates

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