
नवग्रहों में श्री शनिदेव जी सबसे ज्यादा शक्तिशाली ग्रह है।
जम्मू कश्मीर : नवग्रहों में श्री शनिदेव जी सबसे ज्यादा शक्तिशाली ग्रह है,इस वर्ष सन् 2023 ई. श्री शनिदेव जयंती 19 मई शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि धर्मग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन श्री शनिदेव जी का जन्म हुआ था। मान्यता के अनुसार, शनिदेव भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि मई 18 गुरुवार रात्रि 09 बजकर 44 मिंट पर शुरू होगी और 19 मई शुक्रवार रात्रि 09 बजकर 23 मिनट समाप्त होगी,सूर्योदय व्यापिनी अमावस्या तिथि 19 मई शुक्रवार को है इस लिए श्री शनिदेव जयंती 19 मई शुक्रवार को मनाई जाएगी। शुक्रवार 19 मई को श्री शनि जयंती यानी ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि पर वटसावित्री व्रत भी है। इस दिन शनिदेव स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान रहेंगे। 19 जनवरी को चंद्रमा- गुरु मेष राशि में मौजूद रहें जिसके कारण गजकेसरी योग बनेगा, सूर्य वृष राशि में होगे,भरणी और कृतिका नक्षत्र होगा, शोभन और अतिगण्ड योग होगा ,चतुष्पद और नाग करण होगा।ऐसे में शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा और दान का विशेष महत्व होगा।
श्री शनिदेव न्याय प्रिय और दंडाधिकारी हैं इसलिए उन्हें कलयुग का न्यायाधीश कहते हैं। श्री शनिदेव का कार्य प्रकृति में संतुलन पैदा करना है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्री शनिदेव जी कर्म और सेवा का कारक होते है यानि इसका सीधा संबंध आपकी नौकरी और व्यवसाय से होता है। इनके प्रभाव से ही मनुष्य के जीवन में बड़े बदलाव होते हैं।
श्री शनिदेव जयंती को शनि देव की पूजा से कुंडली के शनि दोष, ढैय्या, साढ़ेसाती आदि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। श्री शनिदेव जी की साढे़साती मकर राशि, कुंभ राशि और मीन राशि पर है, मकर वालों पर इसका अंतिम चरण, कुंभ वालों पर दूसरा चरण और मीन वालों पर अभी पहला ही चरण चल रहा है। इसलिए विशेष रूप से इन पतीन राशियों के लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है इसके अतिरिक्त जिन राशियों पर शनि की महादशा,अंर्तदशा चल रही है वह भी सतर्क रहे।
आओ जाने कैसे शनि देव को प्रसन्न किया जा सकता है।
काली गाय की सेवा करने से श्री शनिदेव जी प्रसन्न होते हैं,गरीबों, असहायों को शनिवार को काला कंबल सप्तधान्य, काले वस्त्र दान करें,इस दिन व्रत रखें,श्री शनिदेव के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करें,इन10 नामों से श्री शनिदेव का पूजन करें कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद व पिप्पलाद,एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना मुख देख कर और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर डाकोत (शनि का दान लेने वाला) को दान कर दें,श्रीहनुमानजी को चमेली के तेल का दीप जलाएं ,श्रीहनुमानचालीसा का पाठ करें ,श्री शनिदेव का सरसों के तेल एवं काले तिल से अभिषेक करें,काले घोड़े की नाल का छल्ला इस दिन अथवा शनिवार के दिन मध्यमा अंगुली में धारण करें,शमी वृक्ष की जड़ को विधि-विधान पूर्वक घर लेकर आयें। शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या श्री शनिदेव जी जयंती के दिन किसी योग्य विद्वान से अभिमंत्रित करवा कर काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें। श्री शनिदेव प्रसन्न होंगे तथा शनि के कारण जितनी भी समस्यायें हैं, उनका निदान होगा,सूर्योदय से पहले पीपल की पूजा करें और पीपल के पेड़ पर तेल में लोहे की कील डालकर चढ़ाएं,रविवार को छोड़कर श्री शनिदेव जी की मूर्ति पर 43 दिन तक लगातार तेल चढांए,हर शनिवार बंदरों और कुतों को गुड़ और काले चने खिलाएं साथ ही श्री शनिदेव पर भी तेल के साथ काले तिल आर्पित करें,शनिवार को काले चमड़े के जूते,काले वस्त्र पहनें,।
श्री शनिदेव के चमत्कारी मंत्र जिन्हें पढ़ने से हर कष्टों का अंत होता है।
(1) ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
(2) ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।
(3) कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।
(4) शनि का तंत्रोक्त मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: ।
किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23,000 जाप करें या करवाएं।
